Hindi

 

            भारत मां के गौर भाल पर चमक रही जो बिंदी है

                वह कम कुमकुम का तिलक नही वह तो मेरी हिंदी है

          छात्रो मे हिंदी भाषा के प्रति लगाव और अध्ययनशीलता का विकास हो इस हेतू से जून 1998 मे महाविद्यालय मे हिंदी विभाग कि स्थापना हुई| अहिंदी भाषिक छात्रो मे हिंदी का व्यवहार तथा उनके लेखन श्रवण तथा पठन क्षमताओंका विकास करते हुवे उन्हे वैश्विक स्तर तक जोडना तथा उनमे स्पर्धात्मक  मुल्यो का विकास करना हिंदी विभाग कि स्थापना का मुख्य उद्देश है|

        अपने इस उद्देश को पूरा करने के लिए हमारा विभाग सालभर विविध कार्यक्रमो का आयोजन करता है हिंदी भाषा से जुडे पाठ्यक्रमो के साथ साथ विविध स्तरो पर हिंदी विभाग के छात्रो का मुल्यांकन होत्ता रहता है | इसके अंतर्गत हिंदी वादविवाद , हिंदी भाषण ,हिंदी हस्ताक्षर लेखन ,हिंदी काव्य पठन स्पर्धोओं का आयोजन किया जाता है | हिंदी दिन समारोह के उपलक्ष्य मे शिवाजी विश्वविद्यालय से जुडे कई सुप्रसिध्द हिंदी विशेषद्यो का विशेष व्याखान का आयोजन किया जाता  है | इसके साथ साथ गत २३ सालो से यह विभाग हिंदी दिन को एक त्योहार के रूप मे मनाता आं रहा हैं | इस दिन हम हिंदी गीत महफिल का आयोजन करते है   शिवाजी विश्वविद्यालय के भूतपूर्व हिंदी विभाग प्रमुख तथा जेष्ठ इतिहास तज्ञ डॉ. वसंतराव मोरे, मशहूर लेखक तथा गझलकार डॉ.अर्जुन चव्हाण, डॉ.पी .एस .पाटील,डॉ.कृष्णकांत पाटील ,डॉ.सुनील बनसोडे ,डॉ,नसीम शैख आदि के मार्गदर्शन से विभाग की दिन प्रतिदिन उन्नती होती जा रही है |

      विभाग मे दो अध्यापक स्थायी रूप मे कार्यरत है | हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ.मोहन सावंतजी   शिवाजी विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन मंडल  के सन्माननीय सदस्य के रूप मे पांच साल तक कार्य कर चुके है | इस के साथ ही  पदव्युतर अध्यापक तथा पी.एच.डी मार्गदर्शक के रूप मे कार्यरत है | शिवाजी विश्वविद्यालय के दूरस्थ अध्ययन केंद्र द्वारा

 

 

 

प्रकाशित ग्रथो के लिए उन्होने इकाई लेखन तथा एम .ए के ग्रंथो का संपादन भी किया है | इनके दो संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित है ,उसमें से राजेंद्र यादव का उखडे हुए लोग संवेदना एवं शिल्प यह ग्रंथ शिवाजी विश्वविद्यालयद्वारा संदर्भ ग्रंथ के रूप स्विकृत किया गया हैं |विभाग के दुसरे अध्यापक डॉ.विकास विधातेजी हिंदी साहित्य मे चित्रित दलित विमर्श के अध्येत्ता कवि तथा लेखक   हैं | इनके पांच ग्रंथ प्रकाशित है |

      विभाग ने परिक्षेत्र के महाविद्यालयो से समझौता द्यापन किया है | इस के द्वारा महाविद्यालय मे कई अध्यापको के विशेष व्याखानो का आयोजन  किया जाता है| कोरोना जैसे  आपात काल मे भी हम इंटरनेट के माध्यम से छात्रो से जुडकर हमने उनकी ज्ञान पिपासा को तृष्ट  किया है |

     हिंदी विभाग मे उपलब्ध ग्रंथालय ,मुख्य ग्रंथालय मे उपलब्ध हजारो ग्रंथ , विविध भाषा के समाचार पत्र ,मासिक, इंटरनेट तथा ओ .एच.पी ,पर्यटन , गुट चर्चा ,प्रतियोगिताए  छात्रो को विश्व मे हो रहे विविध बदलावो का परिचय देते है |

 

 

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